डेढ़ लाख से अधिक लोगों को काट चुके कुत्ते

हल्द्वानी। प्रदेश में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसके बावजूद इन घटनाओं की रोकथाम को लेकर शासन-प्रशासन कतई गंभीर नहीं है। राज्य में अब तक डेढ़ लाख से अधिक लोगों को कुत्ते काट चुके हैं। राजधानी देहरादून में चार साल के भीतर 12 लोगों की कुत्ते के काटने से मौत हो चुकी है।
शहरी क्षेत्र हों या ग्रामीण, इनमें आवारा कुत्तों से हर कोई परेशान रहता है। सरकारी अस्पताल में रोजाना आठ से दस लोग कुत्ते के काटने से जख्मी होकर पहुंचते हैं। अस्पताल में केवल बीपीएल श्रेणी के व्यक्ति को एंटी रैबीज का इंजेक्शन मुफ्त में लगाया जाता है। अन्य लोगों को इंजेक्शन बाजार से खरीद कर लाने पड़ते हैं। तमाम लोग आवारा कुत्तों से परेशान है, लेकिन आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया जाता। आरटीआई कार्यकर्ता हेम चंद्र कपिल ने प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों से जो जानकारी भेजी गई, वह चौंकाने वाली है। स्वास्थ्य विभाग से भेजी गई सूचना के मुताबिक राज्य गठन 2000 से लेकर मई 2013 तक राज्य में एक लाख 66 हजार 657 लोगों को कुत्ते काट चुके हैं। कुत्ते के काटने से अब तक कितने लोगों की मौत हो चुकी है इसकी जानकारी देहरादून के अलावा किसी अस्पताल के पास नहीं है। देहरादून में वर्ष 2009 से लेकर मई 2013 तक बारह लोगों की मौत हो चुकी है।

जिलावार कुत्ते के काटने से जख्मी लोगों की सूची
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जिला संख्या
देहरादून 82,127
हरिद्वार 33,789
नैनीताल 27,915
चमोली 6514
टिहरी 4451
पौड़ी 3323
ऊधमसिंह नगर 2733
अल्मोड़ा 2480
रुद्रप्रयाग 1779
पिथौरागढ़ 879
बागेश्वर 667

इंसेट
निकायों में नहीं हैं संसाधन
हल्द्वानी। नगर क्षेत्र में कुत्तों को पकड़ने की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय पालिका या नगर निगम की है मगर निकाय अपनी इस जिम्मेदारी से हमेशा यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि संसाधन नहीं हैं। हल्द्वानी नगर निगम में ही आवारा कुत्तों या जानवरों को पकड़ने के लिए प्रशिक्षित लोगों की टीम नहीं है। इस संबंध में शासन-प्रशासन को ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके।

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